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Best Option Trading Book PDF in Hindi | बेस्ट ऑप्शन ट्रेडिंग बुक पीडीएफ हिंदी में 2024

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Best Option Trading Book PDF in Hindi: Option Trading शेयर मार्केट का एक ऐसा हिस्सा है, जिससे आप काफि अच्छी इनकम अर्जित कर सकते हैं। अधिक कमाई का सोर्स होने के अलावा यह काफी उलझा हुआ concept भी है। अगर आपको यह अच्छी तरह से समझ आ जाता है, तो फिर आप इससे ढेर सारी कमाई कर सकते हैं।

शेयर मार्केट में पैसा कमाने के दो प्रकार होते हैं, इनवेस्टमेंट और ट्रेडिंग। इन्वेस्टिंग से तो लगभग सभी अच्छी तरह से वाकिफ है। लेकिन ट्रेडिंग एक अलग concept है। जिसमें आपको काफी कुछ सीखना पड़ता है। अगर आप बिना सीखे ट्रेडिंग करते हैं, तो आपको काफी ज्यादा लॉस का सामना भी करना पड़ सकता है।

वैसे हमने ट्रेडिंग कैसे सीखें? इसके बारे में एक अलग पोस्ट में अच्छे से बता दिया है। जिसे आप नीचे दिए गए लिंक पर जाकर पढ़ सकते हैं। परंतु आज हम आपको ऑप्शन ट्रेडिंग के बारे में अच्छे से बताने जा रहे हैं। यह एक प्रकार का Financial Option है, जिसमें निवेशक एक निश्चित समय के अंदर contract खरीदते और बेचते हैं।

Option Trading Book in Hindi PDF Download

अगर आप भी शेयर मार्केट से बहुत सारा पैसा कमाना चाहते हैं, तो आपके लिए ऑप्शन ट्रेडिंग सबसे बेस्ट ऑप्शन साबित हो सकती है। लेकिन आप बस यह इतना सा पढ़कर इसमें छलांग नहीं लगा सकते। बिना तैयारी के अगर आप इस विशाल समुंदर में छलांग लगाएंगे, तो कुछ ही समय टिक पाएंगे।

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ऑप्शन ट्रेडिंग से पैसा बनाने के लिए आपको बहुत अच्छी तैयारी करनी होगी। इसके लिए आपको बहुत सारे कोर्सेज करने होंगे, किताबें पढ़नी होगी, आर्टिक्लस पढ़ने होंगे और भी बहुत कुछ। इसलिए अगर आप भी शुरू से अंत तक बहुत आसान भाषा में ऑप्शन ट्रेडिंग सीखना चाहते हैं?

तो आज हम आपको एक ‘बेस्ट ऑप्शन ट्रेडिंग बुक’ के बारे में बताने जा रहे हैं। जिसके माध्यम से आप beginner से एडवांस लेवल तक ऑप्शन ट्रेडिंग सीख सकते हैं। साथ ही इसमें ट्रेडिंग की सभी बुनियादी बातों को अच्छे से बताया गया है। जिससे आप स्टॉक ट्रेडिंग से बहुत सारा पैसा कमा सकते हैं।

What is Option Trading (ऑप्शन ट्रेडिंग क्या है)?

ऑप्शन ट्रेडिंग में एनालिसिस की मदद से किसी भी स्टॉक की प्राइस में गिरावट या तेजी पर दांव लगाया जाता है। इसके लिए CE (कॉल) और PE (पुट) दो तरीके होते हैं। जब निवेशक को लगता है, कि शेयर की कीमत में बढ़ोतरी होगी तो वह ‘कॉल’ खरीदता है। वहीं जब निवेशक को लगता है, कि शेयर की कीमत में गिरावट आएगी तो वह ‘पुट’ ऑप्शन खरीदता है। यहाँ आपके पास दो तरह के ऑप्शन होते हैं। इस कारण इसे ऑप्शन ट्रेडिंग कहा जाता है।

आमतौर पर जब साधारण तरीके से किसी शेयर को खरीदा जाता है, तो शेयर की कीमत में बढ़ोतरी होने पर ही निवेशक की कमाई होगी। अगर खरीदे गए शेयर का प्राइस कम हो जाता है, तो निवेशक को लॉस का सामना करना पड़ता है।

परंतु ऑप्शन ट्रेडिंग में ऐसा नहीं होता है। अगर किसी शेयर की कीमत में गिरावट आती है, तो पुट ऑप्शन खरीदने वाले निवेशकों को मुनाफा होता है। वहीं कॉल ऑप्शन खरीदने वालों को नुकसान होता है। इसके अलावा जब शेयर की कीमत में बढ़ोतरी होती है, तो कॉल ऑप्शन खरीदने वालों को फायदा होता है। वहीं पुट ऑप्शन खरीदने वालों को नुकसान होता है।

इस तरह अगर किसी व्यक्ति को लगता है, कि भविष्य में किसी शेयर की कीमत चढ़ने वाली है। तो वह ऑप्शन ट्रेडिंग के जरिए उस शेयर के बिना पूरे पैसे दिए एक प्रीमियम देकर भविष्य के लिए शेयर को खरीद या बेच सकता है।

यहां गौर करने की बात यह है कि अगर भविष्य में शेयर की कीमतों में उतार-चढ़ाव होता है तो ट्रेड लेने वाले को केवल उतने ही पैसों का नुकसान होगा जितना उसने प्रीमियम दिया होगा।

ऑप्शन ट्रेडिंग में कई गुणा Leverage (निवेश के लिए उधार ली गई पूंजी) देखने को मिलती है। इसलिए निवेशक द्वारा लगाए गए दांव में थोड़ा बहुत अंतर होने पर बहुत अधिक कमाई और नुकसान देखने को मिलता है। इसके अलावा ऑप्शन ट्रेडिंग में एक अन्य शब्द का भी यूज किया जाता है, स्ट्राइक रेट।

यह वह कीमत है जहां आप किसी स्टॉक या इंडेक्स को फ्युचर में जाता हुआ देखते हैं। जानकारी के बिना ऑप्शन ट्रेडिंग दो धारी तलवार की तरह है। इसमें आपको जितना अधिक फायदा होगा, उतना ही अधिक नुकसान हो सकता है। इसलिए सही तरीके से ऑप्शन ट्रेडिंग करना बहुत जरूरी है।

Option Trading Book PDF in Hindi

ऑप्शन ट्रेडिंग एक contract है जो आपको किसी स्पेसिफिक टाइम पर स्पेसिफिक प्राइस पर security खरीदने या बेचने का अधिकार देता है, लेकिन obligation नहीं। सरल शब्दों में ऑप्शन एक प्रकार का contract है जो किसी underlying asset से जुड़ा होता है, उदाहरण के लिए, स्टॉक या इंडेक्स।

ऑप्शन contract एक निर्धारित अवधि के लिए होते हैं, जो हफ्तों से लेकर महीनों तक हो सकते हैं। जब आप कोई ऑप्शन खरीदते हैं, तो आपके पास underlying asset पर ट्रेड करने का अधिकार तो होता है, लेकिन obligation नहीं। यदि आप ऐसा करने का निर्णय लेते हैं, तो इसे ऑप्शन का उपयोग करना कहा जाता है।

1. ऑप्शन

ऑप्शन ट्रेडिंग शेयर मार्केट से एक ही दिन में पैसा डबल, ट्रिपल और भी अधिक गुणा करने का दम रखता है। लेकिन यह पैसे को उतना गुणा कम भी कर सकता है। इसलिए सही तरीके से ऑप्शन ट्रेडिंग करना बहुत जरूरी होता है, नहीं तो पैसा डूबने के चान्स काफी बढ़ जाते है।

ऑप्शन ट्रेडिंग में ऑप्शन एक financial derivative contract होता है, जो होल्डर को एक निश्चित समय के भीतर एक specified price (strike price) पर एक underlying asset को खरीदने या बेचने का अधिकार देता है। हालांकि इसमें होल्डर को कोई obligation नहीं मिलता है। ऑप्शन दो प्रकार के होते हैं।

Example के लिए अगर आप HDFC Bank के शेयर का कॉल ऑप्शन खरीदते हैं, तो ऐसे में HDFC Bank का स्टॉक ‘Underlying Asset’ कहलाएगा। वहीं अगर आप इसी शेयर का पुट ऑप्शन खरीदते हैं, तो वह ‘Derivative Contract’ होगा।

2. कॉल और पुट

ऑप्शन ट्रेडिंग में ट्रेडिंग करने के लिए 2 ऑप्शन होते हैं, इसलिए इसे ऑप्शन ट्रेडिंग कहते हैं। इन दोनों ऑप्शन्स को कॉल ऑप्शन (CE- Call European) और पुट ऑप्शन (PE- Put European) कहते हैं। ब्रेकट में दिखाए गए ‘CE’ और ‘PE’ इसके सिंबल है।

जब निवेशक को लगता है, कि मार्केट में तेजी आएगी तो वह कॉल ऑप्शन और गिरावट आएगी तो पुट ऑप्शन खरीदता है। जब उसकी predication के हिसाब से मार्केट चलता है, तो काफी प्रॉफ़िट मिलता है।

  • कॉल ऑप्शन: कॉल ऑप्शन में होल्डर को expiry date या उससे पहले स्ट्राइक प्राइस पर underlying asset खरीदने का अधिकार मिलता है।
  • पुट ऑप्शन: पुट ऑप्शन में होल्डर को expiry date या उससे पहले स्ट्राइक प्राइस पर underlying asset बेचने का अधिकार मिलता है।

Example के लिए मान लेते हैं, कि आज HDFC Bank का शेयर ₹1000 पर ट्रेंड कर रहा है। आप बैंक की परफॉर्मेंस को लेकर आश्वस्त है, कि इसके शेयरों में तेजी आने वाली है। लेकिन आप पूरी तरह से sure नहीं है, कि तेजी ही आएगी। इसलिए आप इसके शेयर्स खरीदकर बड़ा जोखिम नहीं लेना चाहते हैं।

इस कारण से आप ऑप्शन ट्रेडिंग करते हैं, और कॉल ऑप्शन खरीदते हैं। आप ₹1000 की स्ट्राइक प्राइस पर मंथली कॉल ऑप्शन खरीदते हैं, जिसके लिए आप एक प्रीमियम का भुगतान करते हैं। मान लेते हैं, कि प्रीमियम ₹100 प्रति शेयर है। वहीं लॉट साइज़ 50 का है। इस तरह से आप ₹5000 में एक लॉट खरीद लेंगे।

मान लीजिए अब सबकुछ अच्छा चल रहा है और HDFC Bank के एक शेयर की कीमत महीने के अंत में यानी expiry date तक ₹1200 हो गई है। तो इस दिन जिससे आपने शेयर खरीदे थे, वह ₹1,000 की कीमत से आपसे वापिस शेयर्स खरीदेगा। क्योंकि आपके बीच एक contract हुआ था।

इस तरह से आपको प्रति शेयर ₹100 का मुनाफा होगा। जिससे आपकी इनवेस्टमेंट ₹5,000 से बढ़कर ₹10,000 हो जाएगी। इसे जब आप प्रेक्टिकली करेंगे तो अच्छे से समझ पाएंगे। इसी तरह पुट ऑप्शन कॉल ऑप्शन के पूरी तरह से विपरीत है। बस इसमें शेयर की कीमत गिरने पर ट्रेडिंग की जाती है।

3. स्ट्राइक प्राइस

शेयर मार्केट में स्ट्राइक प्राइस एक ऐसी टर्म है, जिसका उपयोग बड़े पैमाने पर किया जाता है। ऑप्शन ट्रेडिंग करने से पहले आपको इसे अच्छे से समझ लेना चाहिए। ऊपर हमने HDFC Bank का उदाहरण दिया था। इसी उदाहरण से हम स्ट्राइक प्राइस को समझते हैं।

मान लीजिए आज HDFC Bank के एक शेयर ₹1000 पर ट्रेंड कर रहा है। तो उसके बहुत सारे स्ट्राइक प्राइस होंगे। इसमें जो उसी समय प्राइस होता है। उसे At The Money (ATM) स्ट्राइक प्राइस कहा जाता है। इस समय शेयर की At the money स्ट्राइक प्राइस ₹1000 होगी।

वहीं जब इसकी ऊपर की वैल्यू Out The Money (OTM) स्ट्राइक प्राइस होगा। जैसे 1100, 1200, 1300 आदि। इसके अलावा इससे नीचे की वैल्यू In The Money (ITM) कहलाती है।

4. ATM, OTM और ITM

इस तरह से आप अच्छे से समझ गए होंगे, कि ATM, OTM और ITM क्या होता है। चलो इसे थोड़ा आसान भाषा में समझते हैं-

  • ATM: मार्केट में जिस कीमत पर कोई स्टॉक या इंडेक्स ट्रेंड करता है, तो उसे ATM कहा जाता है।
  • OTM: किसी भी स्ट्राइक प्राइस से ऊपर के सभी कॉल या पुट ऑप्शन को OTM यानी आउट ऑफ द मनी ऑप्शन कहा जाता है।
  • ITM: स्ट्राइक प्राइस से नीचे के सभी कॉल या पुट ऑप्शन को ITM यानी इन द मनी ऑप्शन कहा जाता है।

5. ऑप्शन चैन

ऑप्शन चैन ऑप्शन ट्रेडिंग करने में बहुत सहायता प्रदान करती है। यह एक प्रकार चार्ट होता है, जिसमें अलग-अलग स्ट्राइक प्राइस के कॉल और पुट ऑप्शन का डाटा दिखाया जाता है। इससे आपको ट्रेडिंग के समय कॉल और पुट से होने वाले फायदे और नुकसान समझने में सहायता मिलती है। ऑप्शन चैन डाटा एनालिसिस कर आपकी ट्रेडिंग में होने वाले फायदे को बढ़ा सकती है।

जब फ्युचर और ऑप्शन ट्रेडिंग में इस चार्ट का सबसे अच्छे तरीके से उपयोग होता है। क्योंकि इसमें सारा डाटा एक साथ मिल जाता है। ऑप्शन चैन में कॉल और पुट ओप्शंस के स्ट्राइक प्राइस की एक चेन होती है। जिसमें आपको volume, open interest, LTP, Bid, Ask प्राइस और IV या Implied volatility देखने को मिलते हैं।

6. Option Buying and Option Selling

ऑप्शन ट्रेडिंग में ऑप्शन बाइंग और ऑप्शन सेलिंग दो प्रकार की transaction होती है। ऑप्शन बाइंग में एक निश्चित समय के लिए किसी भी शेयर या इंडेक्स के कॉल या पुट ऑप्शन खरीदने का अधिकार होता है। जब कोई इन्वेस्टर यह ऑप्शन खरीदता है, तो वह सेलर को एक प्रीमियम का भुगतान कर यह अधिकार खरीदता है।

ऑप्शन बायर्स आमतौर उस अंडरलाइंग असेट्स की प्राइस मूवमेंट से पैसा कमाते हैं। उदाहरण के लिए एक कॉल ऑप्शन खरीदार स्टॉक की कीमत बढ़ने की उम्मीद करता है, जबकि एक पुट ऑप्शन खरीदार कीमत गिरने की उम्मीद करता है।

इसी तरह ऑप्शन सेलिंग में किसी अन्य व्यक्ति को प्रीमियम के बदले में एक निश्चित समय के भीतर predetermined price पर एक specific underlying asset खरीदने (कॉल ऑप्शन) या बेचने (पुट ऑप्शन) का अधिकार देने की प्रक्रिया शामिल है। यानि इसमें सेलर बायर से प्रीमियम प्राप्त करता है।

यदि बायर अपने अधिकार का प्रयोग करने का निर्णय लेता है, तो वह ऑप्शन contract की शर्तों को पूरा करने के लिए बाध्य है। ऑप्शन सेलर्स आमतौर पर ऑप्शन बेचकर प्रीमियम से कमाई करते हैं। जबकि बायर्स प्रीमियम देकर सेलर्स के पैसों से कमाई करते हैं। यानि अगर एक व्यक्ति का नुकसान दूसरे का मुनाफा होगा।

7. प्रीमियम

ऑप्शन प्रीमियम वह राशि है, जो निवेशक ऑप्शन ट्रेडिंग करते समय ट्रेडिंग करने के लिए चुकाता है। ऑप्शन प्रीमियम, ऑप्शन contract का वर्तमान मार्केट प्राइस होता है। मान लीजिए एक व्यक्ति Nifty की कॉल ऑप्शन पर ट्रेडिंग करता है। इसके लिए वह एक contract खरीदता है, जिसके बदले में उसे एक राशि चुकानी पड़ती है। इसे ही प्रीमियम कहते हैं।

जब ऑप्शन सेलर के द्वारा ऑप्शन बायर को लॉट बेचा जाता है, तो इसके बदले में बायर एक राशि का भुगतान करता है। इसे ही प्रीमियम कहा जाता है। ऑप्शन ट्रेडिंग में कॉल (CE) और पुट (PE) की कीमत को प्रीमियम कहा जाता है, यानी जिस कीमत पर कॉल या पुट ऑप्शन बेचा जाता है उसे प्रीमियम कहा जाता है।

8. लॉट साइज

अगर आप शेयर मार्केट में इनवेस्टमेंट करते हैं, तो आपने कभी न कभी शेयर जरूर खरीदा होगा। आपने देखा होगा, कि वहाँ आपको एक शेयर खरीदने का ऑप्शन भी दिखाई देता है। इस तरह से आप एक शेयर में निवेश कर इनवेस्टमेंट कर सकते हैं। लेकिन ऑप्शन ट्रेडिंग में ऐसा नहीं होता है।

यहाँ आपको एक की बजाय अधिक मात्रा में शेयर्स खरीदने पड़ते हैं। जब आप ऑप्शन ट्रेडिंग करते हैं, तो आपको एक लॉट साइज़ में पुट या कॉल ऑप्शन खरीदना पड़ता है। उदाहरण के लिए वर्तमान में Nifty का लॉट साइज़ 50 है। इसका मतलब है कि अगर आप निफ्टी की कॉल या पुट खरीदते हैं तो आपको कम से कम 50 क्वांटिटी खरीदनी होगी।

9. ऑप्शन एक्सपायरी

अब आप अच्छी तरह से जान गए होंगे कि ऑप्शन ट्रेडिंग में contract एक निश्चित समय के लिए होता है। जब यह समय समाप्त हो जाता है, तो उसे ऑप्शन एक्सपायरी कहा जाता है। इसमें वीकली एक्स्पायरी हर गुरुवार को होती है, वहीं मंथली एक्सपायरी प्रत्येक महीने के अंतिम गुरुवार को होती है।

Index की एक्सपायरी वीकली और स्टॉक्स की एक्सपायरी मंथली होती है। यदि किसी ऑप्शन ट्रेडर के पास एक्सपायरी डेट के बाद भी ये contract पड़े रहते हैं, तो वे बेकार हो जाते हैं। जिससे उनकी वैल्यू ज़ीरो हो जाती है। 

10. ऑप्शन स्ट्रेटजी

हर काम को सफल तरीके से करने की एक खास रणनीति या स्ट्रेटजी होती है। अगर आप ऑप्शन ट्रेडिंग से पैसा कमाना चाहते हैं, तो आपके पास एक ऑप्शन स्ट्रेटजी होनी चाहिए। आप खुद या किसी से सीखकर एक ऑप्शन स्ट्रेटजी बना सकते हैं। भारत में 90% ट्रेडर्स ऑप्शन ट्रेडिंग में पैसा गंवा देते हैं।

क्योंकि वे एक रणनीति का उपयोग नहीं करते हैं। अगर आप अपने रिस्क या लॉस को कम करना चाहते हैं, तो आपको ऑप्शन स्ट्रेटजी का अच्छे से यूज करना होगा। सबसे पहले आपको कब स्टॉप-लॉस ऑर्डर सेट करना है, उसके बारे में अच्छे से नॉलेज होना चाहिए। फिर पुट व कॉल को समझना भी जरूरी है।

आप अपनी स्किल और स्ट्रेंथ के हिसाब से खुद की स्ट्रेटजी तैयार कर सकते हैं। जब आप ऐसा करते हैं, तो आपका अनुभव आपके लिए फायदा बनकर आता है।

11. वोलैटिलिटी

वोलैटिलिटी का दूसरा नाम अचानक से उत्तर-चढ़ाव या परिवर्तनशीलता है। मान लीजिए आज बजट का दिन है, तो या तो शेयर मार्केट अचानक से नीचे जाएगा या अचानक से ऊपर जाएगा। इसे ही वोलैटिलिटी कहा जाता है। इसे आप एक दूसरे उदाहरण से भी समझ सकते हैं।

मान लीजिए आज किसी कंपनी की तिमाही का रिजल्ट आने वाला है। अगर रिजल्ट अच्छा आया तो स्टॉक प्राइस में बढ़ोतरी होगी। वहीं अगर रिजल्ट नेगेटिव आया तो प्राइस में गिरावट आएगी। इस अचानक से आई गिरावट को ही तेज वोलैटिलिटी कहा जाता है। यदि किसी शेयर की कीमत में लंबे समय तक धीरे-धीरे उतार-चढ़ाव होता है, तो इसे कम वोलैटेलिटी शेयर कहा जाता है।

Example के लिए श्याम अक्सर एक कंपनी के शेयरों में ट्रेड करता है। कुछ दिनों के बाद अचानक उछाल देखा जाता है और शेयर की कीमत ₹100 से ₹121 तक बढ़ जाती है। इस उदाहरण में थोड़े समय के दौरान स्टॉक का उतार-चढ़ाव स्टॉक की अस्थिरता का एक उदाहरण है। जब वोलैटिलिटी अधिक होगी तो मार्केट में उतार-चढ़ाव भी अधिक होगा।

12. वॉल्यूम

ऑप्शन ट्रेडिंग में जितनी ट्रेडिंग होती है, उसे वॉल्यूम कहा जाता है। मतलब बायर्स और सेलर्स द्वारा ट्रेड की गई quantity को वॉल्यूम कहा जाता है। मतलब आज स्टॉक मार्केट में कुल 1,000 लोगों ने ऑप्शन ट्रेडिंग की है। इस दौरान उन्होंने 1500 लॉट की ट्रेडिंग की तो यहाँ 1500 वॉल्यूम होगा।

चार्ट में जितना अधिक वॉल्यूम होगा, उतनी ही अधिक भीड़ होगी। यह बात शेयर बाज़ार के कई वास्तविक तथ्यों को उजागर करती है। उदाहरण के लिए जहां भीड़ अधिक होगी, वहाँ ही शेयर बाजार से पैसा कमाया जा सकता है। इस चीज को हम नज़रअंदाज़ नहीं कर सकते। 

निफ्टी के एक लॉट में 50 क्वान्टिटी होती हैं। 1 लॉट को खरीदने या बेचने पर वॉल्यूम 50 नहीं बल्कि 1 ही होगा। इसी तरह निफ्टी बैंक का एक लॉट 25 का होता है। ऐसे में अगर 1 लॉट का सेल-बायर ट्रेड होता है तो वॉल्यूम 1 होता है 25 नहीं। इस तरह से कुल लॉट की संख्या को ही वॉल्यूम कहा जाता है।

13. चार्ट और टाइम फ्रेम

ऑप्शन ट्रेडिंग करने के लिए एक विशेष तरह का चार्ट तैयार किया जाता है। जो आपको अपनी ब्रोकरेज की वेबसाइट या गूगल पर मिल जाएगा। ऑप्शन ट्रेडिंग ‘पुट’ या ‘कॉल’ ऑप्शन खरीदने से पहले चार्ट एनालिसिस करना बहुत जरूरी है। इससे आपको मार्केट या स्टॉक की चाल समझ आ जाएगी।

वहीं अगर आप बिना चार्ट देखें ऑप्शंस में ट्रेड करते हैं, तो नुकसान होने की संभावना अधिक बढ़ जाती है। ऑप्शन ट्रेडिंग चार्ट को समझने के लिए आपको अलग-अलग टाइम फ्रेम पर मार्केट की चाल को समझना होगा। इसके लिए आप 5 मिनट, 10 मिनट, 1 घंटा या इससे अधिक समय का टाइम फ्रेम सेट कर सकते हैं।

फिर खुद की स्किल से टेक्निकल एनालिसिस करना है। इसके लिए कैंडलस्टिक पैटर्न भी एक कारगर हथियार साबित हो सकता है। इसके बाद सपोर्ट और रेजिस्टेंस लेवल पता करें। इस तरह चार्ट को समझने से आपको मार्केट की मूवमेंट का पता लग जाएगा। हालांकि आपको चार्ट अच्छे से पढ़ना आना चाहिए, जिसमें बहुत छोटी-छोटी बातें छुपी होती है।

14. ओपन इंटरेस्ट (OI) 

शेयर बाजार में, ओपन इंटरेस्ट से तात्पर्य आउटस्टैंडिंग (अनलिक्विडेटेड या अनसेटल्ड) ओप्शंस या फ्युचर contracts की कुल संख्या से है जो प्रत्येक ट्रेडिंग डे के अंत में market participants द्वारा रखे जाते हैं। यह मार्केट की गतिविधि और सेंटिमेंट को मापने के लिए उपयोग किया जाने वाला एक प्रमुख मेथड है।

ओपन इंटरेस्ट की गणना किसी particular financial instrument, जैसे स्टॉक ऑप्शन या future contract के लिए सभी ओपन लॉन्ग (buy) पोजीशन और ओपन शॉर्ट (sell) पोजीशन को जोड़कर की जाती है। प्रत्येक कॉल या पुट ऑप्शन का ओपन इंटरेस्ट अलग-अलग होता है जो कि आपको ऑप्शन चैन में दिखाई देता है।

हम जानते हैं, कि हर डील में दो पार्टियां होती है। एक बेचने वाली और एक खरीदने वाली। मान लीजिए कि बेचने वाले ने खरीदने वाले को एक कॉन्ट्रैक्ट बेचा, बेचने वाला उस कॉन्ट्रैक्ट पर शॉर्ट है और खरीदने वाला उसी कॉन्ट्रैक्ट पर लॉन्ग है। इस ट्रेड की वजह से बाजार में एक ओपन इंटरेस्ट बनता है।

How to Download Best Option Trading Book PDF in Hindi?

हमने आपको ऊपर बेस्ट ऑप्शन ट्रेडिंग बुक के बारे में बताया था। उस बुक से जुड़ी कुछ जानकारी हमने आपके साथ शेयर की है। अगर आप भी Best option trading book in hindi pdf free download करना चाहते हैं, तो आप इस तरीके से इसे डाउनलोड कर सकते हैं-

  • जैसे ही आप इस Book Link पर क्लिक करेंगे तो अगले पेज पर आपको अपना नाम और ईमेल एड्रेस दर्ज करना होगा।
  • फिर आपको Google ड्राइव पेज पर रिडायरेक्ट किया जाएगा।
  • जैसे ही आप इस पेज पर ऊपर दिए गए डाउनलोड आइकन पर क्लिक करेंगे यह ऑप्शन ट्रेडिंग बुक डाउनलोड हो जाएगी।
  • फिर आप जब चाहें इसे ऑनलाइन पढ़ सकते हैं।

Conclusion

जो लोग शेयर मार्केट से कम समय में अधिक रिटर्न हासिल करना चाहते हैं, तो उनके लिए ऑप्शन ट्रेडिंग बेस्ट साबित हो सकती है। लेकिन ऑप्शन ट्रेडिंग दो धारी तलवार की तरह है, जो दांव गलत साबित होने पर सामने वाले को काटने की बजाय आपको भी काट सकती है।

इसलिए आपको यह तलवार अच्छे से चलनी सिखनी होगी। जिसके लिए हमारे द्वारा दी गई best option trading books pdf in hindi आपके लिए वरदान साबित हो सकती है। इस किताब में सभी चीजों को अच्छे से कवर किया गया है।

FAQ’s (Option Trading book in hindi)

Q: क्या यह बुक हिंदी में उपलब्ध है?

हाँ, यह किताब हिंदी पाठकों के लिए लिखी गई है। ताकि जब भी कोई हिंदी मीडियम का व्यक्ति इसे पढ़ें तो उसे अच्छी तरह से ऑप्शन ट्रेडिंग समझ में आ जाएं। इसमें बहुत ही सिम्पल भाषा का उपयोग किया गया है, ताकि पाठकों को पढ़ने में किसी प्रकार की कोई परेशानी न हो।

Q: इस किताब का उद्देश्य क्या है?

इस किताब का उद्देश्य ऑप्शन ट्रेडिंग को अच्छे से और साधारण तरीके से समझाना है। इसमें बेसिक से लेकर एडवांस लेवल की चीजें बताई गई हैं, जिनका उपयोग कर ट्रेडर्स मोटी कमाई कर सकते हैं।

Q: किताब के अनुसार ऑप्शंस क्या है?

ऑप्शंस फाइनेंशियल डेरिवेटिव हैं जो होल्डर को एक निश्चित समय सीमा के भीतर predetermined price पर अंडरलाइंग असेट्स को खरीदने या बेचने का अधिकार देते हैं, लेकिन दायित्व नहीं। इसमें दो तरीके से ट्रेडिंग की जाती है, कॉल और पुट।

Q: Buying और Selling ऑप्शंस में क्या अंतर है?

ऑप्शन ट्रेडिंग दो व्यक्तियों के बीच होती है। जहां एक व्यक्ति ऑप्शन खरीदता है और दूसरा बेचता है। जब कोई निवेशक ऑप्शन खरीदता है, तो वह एक प्रीमियम का भुगतान करता है। वहीं जब कोई निवेशक ऑप्शन बेचता है, तो वह प्रीमियम प्राप्त करता है।

Q: ऑप्शन ट्रेडिंग के क्या फायदे हैं?

किसी भी underlying asset पर सीधा ट्रेड करने की बजाय ऑप्शन करना अधिक leverage, flexible, potential और हाइ रिटर्न वाला सौदा साबित होता है। इनका उपयोग हेजिंग और रिस्क कम करने के उद्देश्यों के लिए भी किया जाता है।

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