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Bullish Engulfing Pattern In Hindi | बुलिश एनगल्फिंग पैटर्न हिंदी में | 100% Profit

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Bullish Engulfing Pattern In Hindi : आपने बुलिश ब्लफिंग कैंडलस्टिक पैटर्न के बारे में जरूर सुना होगा। आज हम Bullish Engulfing Pattern को समझने का प्रयास करेंगे।

बुलिश एन्गल्फिंग कैंडलस्टिक पैटर्न के माध्यम से कोई ट्रेडर्स सही स्ट्रेटजी का उपयोग करके स्टॉक मार्केट से ढेर सारे पैसे कमा सकता है। 

इसलिए आपको Bullish Engulfing Candlestick Pattern के आकार, प्रकार, एंट्री का समय, टार्गेट सेट करना या स्टॉप लॉस लगाने के बारे में अच्छे से जान लेना चाहिए। 

आज के इस आर्टिकल में हम आपको Bullish Engulfing Pattern In Hindi को विस्तार से समझाने वाले हैं इसलिए हमारे साथ आखिर तक बनें रहें।

Table of Contents

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Bullish Engulfing Candle क्या है?

Bullish Engulfing Candlestick Pattern को जानने से पहले आपको बुलिश एंगल्फिंग कैंडल को समझना जरूरी है। आप सोच रहे होंगे कि Bullish Engulfing Candle Meaning In Hindi क्या है? तो हम आपको बता दें कि Bullish Engulfing Candle दो कैंडल से मिलकर बनने वाला एक पैटर्न होता है। 

जिसमें पहले कैंडल को बेयरिश कैंडल कहते हैं और दूसरे कैंडल को बुलिश कैंडल कहते हैं। इसमें दूसरी कैंडल, पहले कैंडल को पूरी तरह से कवर कर लेती है यानि दूसरी कैंडल गैप डाउन खुलने के बाद बुलिश कैंडल में चेंज हो जाती है। अगर हम Bullish और बेयरिश कैंडल को अलग-अलग परिभाषित करें तो परिभाषा कुछ इस प्रकार होगी –

  • बुलिश कैंडल: जब किसी दिन क्लोजिंग प्राइस पिछले दिन के क्लोजिंग प्राइस से ज्यादा होती है तो उसे बुलिश कहा जाता है।
  • बेयरिश कैंडल: जब किसी दिन क्लोजिंग प्राइस पिछले दिन के क्लोजिंग प्राइस से कम हो तो उसे बेयरिश कहा जाता है।

बुलिश पैटर्न किसे कहते हैं?

Bullish Engulfing Pattern In Hindi में सबसे पहले हम आपको Bullish Pattern को समझाएंगे। बुलिश पैटर्न वे पैटर्न होते हैं जो चार्ट में बनने के बाद शेयर में तेजी का संकेत देते हैं।

ये पैटर्न इस ओर संकेत करते हैं कि यदि मार्केट गिर रहा है तो मार्केट यहां से ऊपर जा सकता है। यह पैटर्न मार्केट में आने वाली Bullishness के बारे में बताते हैं, यानि आप इससे यह समझ सकते हैं कि मार्केट कब Bullish होगा।

Bullish Engulfing Pattern In Hindi (बुलिश एनगल्फिंग पैटर्न हिंदी में)

Bullish Engulfing Candlestick Pattern निर्माण तब होता है जब दूसरी बुलिश कैंडल पहली बेयरिश कैंडल को पूरी तरह से कवर कर लेती है। इस स्थिति में दोनों कैंडल के संयुक्त रूप को बुलिश एन्गल्फिंग कैंडल कहते हैं।

आपको बता दें कि एक बुलिश ट्रेंड रिवर्सल पैटर्न होता है जो डाउन ट्रेंड में चल रहे शेयर या इंडेक्स को अप ट्रेंड में बदलने का संकेत देता है। इस पैटर्न का निर्माण चार्ट के बॉटम पर या सपोर्ट के लेवल पर होता है।

Bullish Engulfing Candlestick Pattern की विशेषताए

जैसा कि हमने आपको बताया कि बुलिश एन्गल्फिंग कैंडलस्टिक पैटर्न (Bullish Engulfing Candle Pattern) चार्ट में तेजी का संकेत देते हैं क्योंकि यह रिवर्सल पैटर्न होते हैं।

ट्रेडर्स अपनी साइकोलॉजी का इस्तेमाल करके आसानी से इस पैटर्न को समझते हुए शेयर मार्केट से पैसे कमा सकते हैं, इस पैटर्न की कई विशेषताएं हैं जो निम्नलिखित है –

  • Bullish Engulfing Candle दो कैंडल से मिलकर बनते हैं।
  • बनने वाले पैटर्न में पहले कैंडल को बेयरिश और दूसरे कैंडल को बुलिश कहा जाता है। इन दोनों के संयुक्त रूप से ही बुलिश एन्गल्फिंग कैंडलस्टिक पैटर्न का निर्माण होता है।
  • इस तरह के बनने वाले पैटर्न में दूसरी कैंडल पहले कैंडल को 100% तक कवर कर देती है
  • आपको बता दे कि इस पैटर्न में दूसरी कैंडल गैप डाउन ओपन होता है जिसके बाद खरीदारी होने के कारण कैंडल, बुलिश कैंडल में बदल जाता है।
  • आपको समझना चाहिए कि बुलिश कैंडल का Low ही बुलिश एन्गल्फिंग कैंडल होता है और इसका निर्माण डाउन ट्रेंड में चल रहे शेयर के बॉटम पर होता है तब इसे बुलिश एन्गल्फिंग कैंडलस्टिक पैटर्न कहते हैं।

Bullish Engulfing Candlestick Pattern In Hindi

Bullish Engulfing Pattern In Hindi | बुलिश एनगल्फिंग पैटर्न हिंदी में | 100% Profit

जब किसी बुलिश एन्गल्फिंग कैंडल का निर्माण डॉ ट्रेंड में चल रहे शेर के बाटम पर होता है तो इस प्रकार से जी कैंडलेस्टिक पेटर्न का निर्माण होता है उसे Bullish Engulfing Candlestick Pattern कहते हैं। लेकिन जब कैंडल का निर्माण किसी शेयर ट्रेंड के टॉप पर हो या बिना किसी ट्रेंड के कहीं पर भी हो तो वह बुलिश एन्गल्फिंग कैंडलस्टिक पैटर्न नहीं कहलाएगा। 

क्योंकि यह एक बुलिश पैटर्न है जो डाउन ट्रेंड में चल रहे शेयर को अप ट्रेंड में बदल सकता है। इसलिए इसे ट्रेंड रिवर्सल पैटर्न कहा जाता है, इसका निर्माण हमेशा डाउन ट्रेंड के बॉटम पर या सपोर्ट के लेवल के आस-पास होता है।

बुलिश एन्गल्फिंग कैंडलस्टिक पैटर्न के निर्माण के पीछे ट्रेडर की सायकोलॉजी क्या है?

आप सोच रहे होंगे कि Bullish Engulfing Candlestick Pattern के पीछे ट्रेडर्स की क्या सोच होती है तो हम आपको बता दें कि जब किसी कंपनी का शेयर डाउन ट्रेंड में लगातार ट्रेड हो रहा हो तो ट्रेडर्स डर कर कंपनी के शेयर में लगातार बिकवाली करते हैं और ऐसे में वह स्थिति आ जाती है जब कंपनी का शेयर अंदर वैल्यूड हो जाता है। इस कारण ट्रेडर्स और निवेशक खरीदारी के मौके की तलाश करते रहते हैं। 

जब कंपनी के संबंध में कोई अच्छी खबर या किसी ब्रोकरेज फर्म के द्वारा अप साइड के टारगेट दिए जाते हैं तब कंपनी के शेयर में बड़ी मात्रा में खरीदारी शुरू हो जाती है। ऐसे में जब कंपनी का शेयर डाउन ट्रेंड में ट्रेड करते-करते अंडर वैल्यू हो जाता है तब ट्रेडर या निवेशक खरीदारी के मौके की तलाश में लगते हैं।

जब शेयर की कीमत बेयरिश कैंडल बनाकर नीचे चली जाती है, इस समय ट्रेडर या निवेशक को खरीदारी का मौका मिल जाता है फिर जब कंपनी का शेयर अगले दिन गैप डाउन खुलता है तब ट्रेडर या निवेशक को खरीदारी के लिए बड़ा मौका मिल जाता है। 

इस स्थिति में ट्रेडर/निवेशक के खरीदारी के कारण गैप डाउन खुलने वाली कैंडल बड़ी बुलिश कैंडल में बदल जाती है जो बेयरिश कैंडल को पूरा कवर कर देती है। इस प्रकार बुलिश एन्गल्फिंग कैंडलस्टिक पैटर्न बनता है।

Bullish Engulfing Candlestick Pattern में ट्रेंड कब लें सकते हैं?

Bullish Engulfing Candlestick Pattern के निर्माण के बाद तेज़ी के ट्रेंड की शुरुआत का संकेत मिलता है लेकिन ट्रेड लेने के लिए पहले कन्फर्मेशन का इंतजार करना होता है। पैटर्न बनने के बाद ऐसे बुलिश कैंडल का इंतजार करना चाहिए जो बुलिश एन्गल्फिंग कैंडल के Low को ब्रेक न कर रही हो। 

जब बुलिश एन्गल्फिंग कैंडलस्टिक पैटर्न के बाद इस प्रकार का बुलिश कैंडल बन जाता है तो पैटर्न को कन्फर्मेशन मिल जाता है और जैसे ही अगली कैंडल, इस पैटर्न कन्फर्मेशन कैंडल का हाई ब्रेक करके ऊपर जाती है तो ट्रेडर खरीदारी में ट्रेड ले सकते हैं। 

जिस लेवल पर पैटर्न कन्फर्मेशन कैंडल का हाई ब्रेक करती है उस लेवल को एंट्री का लेवल कहते हैं और जो कैंडल पैटर्न कन्फर्मेशन कैंडल का हाई ब्रेक करके ऊपर जाती है उसे एंट्री कन्फर्मेशन कैंडल कहते हैं।

Bullish Engulfing Candlestick Pattern में टार्गेट कहाँ सेट करना चाहिए?

ट्रेड लेने के तुरंत बाद टार्गेट तथा स्टॉप लॉस लगाना अच्छे ट्रेडर की पहचान होती है। इस पैटर्न के तहत ट्रेडर अपना टार्गेट एंट्री लेवल से बुलिश एन्गल्फिंग कैंडल के Low के अंतर के बराबर एंट्री पॉइंट ऊपर लगाना चाहिए।

Bullish Engulfing Candlestick Pattern में टार्गेट बड़ा कैसे करें?

Bullish Engulfing Candlestick Pattern में आप पैटर्न के अनुसार 1:1 का टार्गेट लेकर एग्जिट कर सकते हैं। लेकिन अगर आपको ये टारगेट बड़ा करना है तो आपको इस स्थिति में एग्जिट करने के बजाय छोटे टाइम फ्रेम पर किसी ट्रेंड रिवर्शल पैटर्न दिखाई देने पर एग्जिट करना चाहिए। ट्रेडर का टारगेट जैसे – जैसे बड़ा होता जाता है, वह अपने स्टॉप लॉस को ट्रेल करता है और भरपूर मुनाफा कमा सकता है।

बुलिश एन्गल्फिंग कैंडलस्टिक पैटर्न में स्टॉप लॉस कहां सेट करना चाहिए?

Bullish Engulfing Candlestick Pattern में ट्रेडर को स्टॉप लॉस बुलिश एन्गल्फिंग कैंडल भी लगाता है लेकिन अच्छा ट्रेडर तभी कहलाता है जब वह Bullish Engulfing Candle के Low पर स्टॉप लॉस सेट करता है।

FAQ About Bullish Engulfing Pattern In Hindi

प्रश्न 1. Bullish Engulfing Candlestick Pattern क्या होता है?

Bullish Engulfing Candlestick Pattern, बुलिश और बेयरिश कैंडल से मिलकर बनने वाला पैटर्न है। इसका निर्माण तब होता है जब दूसरी बुलिश कैंडल पहली बेयरिश कैंडल को पूरी तरह से कवर कर लेती है। इस स्थिति में दोनों कैंडल के संयुक्त रूप से बनने वाले पैटर्न को बुलिश एन्गल्फिंग कैंडल कहते हैं। ये एक बुलिश ट्रेंड रिवर्सल पैटर्न होता है जो डाउन ट्रेंड में चल रहे शेयर या इंडेक्स को अप ट्रेंड में बदलने का संकेत देता है। Bullish Engulfing Candlestick Pattern पैटर्न का निर्माण चार्ट के बॉटम पर या सपोर्ट के लेवल पर होता है।

प्रश्न 2. Bullish Engulfing Candle किस ओर संकेत करते हैं?

Bullish Engulfing Candle शेयर चार्ट में तेजी का संकेत देते हैं। ये ट्रेंड रिवर्सल पैटर्न होते हैं जो Down Trend में चल रहे शेयर या इंडेक्स को Up Trend में बदल सकते हैं।

प्रश्न 3. Bullish Pattern क्या है?

बुलिश पैटर्न वे पैटर्न होते हैं जो किसी शेयर चार्ट में निर्मित होने के बाद शेयर में तेजी आने का संकेत देते हैं। ये पैटर्न इस ओर इशारा करते हैं कि अगर मार्केट गिर रहा है तो मार्केट यहां से ऊपर जा सकता है। Bullish Pattern के माध्यम से ट्रेडर यह जान सकता है कि मार्केट कब नीचे से ऊपर जा सकता है, यानि शेयर में Bullishness कब आएगी।

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