Assets and liabilities meaning in Hindi: छोटे से लेकर बड़े बिजनेस में Assets और Liabilities शब्दों का उपयोग बड़े पैमाने पर किया जाता है।
यह बिजनेस में दो अलग-अलग शब्द है, जो बिजनेस की वित्तीय स्थिति को प्रदर्शित करते हैं। इन्हें समझना काफी आसान है, लेकिन सही तरीके से समझना भी बहुत जरूरी है।
अगर आप भी बिजनेस करना चाहते हैं, या किसी बिजनेस को चला रहे हैं। तो आपके लिए liabilities and assets meaning in Hindi को समझना आवश्यक है।
आज की इस पोस्ट में हम आपको assets and liability meaning in Hindi के बारे में अच्छे से बताएँगे।
Assets क्या होता है?
साधारण भाषा में Assets को संपत्तियां कहा जाता है। यह किसी भी व्यक्ति, बिजनेस या कंपनी के वह संसाधन है, जिनको नगदी में बदला जा सकता है। मतलब इनका उपयोग भविष्य में बेनेफिट्स उत्पन्न करने के लिए होता है।
Assets किसी भी रूप में हो सकता है, जैसे- बिल्डिंग्स, ईक्विपमेंट, इनवेंटरी, कैश, patents, ट्रेडमार्क्स, कॉपीराइट, शेयर्स, इनवेस्टमेंट, लैंड आदि।
दूसरे शब्दों में कहें तो Assets एक तरह से गूड्स और सर्विसेज होते हैं, जिन्हें आप रुपयों में माप सकते हैं। यह एक प्रकार की संपत्ति होती है। यह ऐसे रिसोर्सेज होते हैं, जो किसी भी कंपनी या बिजनेस को प्रॉफ़िट जनरेट करने में सहायता करते हैं।
पर्सनल असेट्स में घर, जमीन, financial security, jewelery, artwork, gold, silver और checking account शामिल होता है।
वहीं बिजनेस Assets में motor vehicles, buildings, machinery, equipment, cash और accounts receivable जैसी चीजें शामिल होती है। Assets को मुख्य तौर पर निम्नलिखित भागों में बांटा गया है-
1. Tangible Assets (मूर्त संपत्तियाँ)
आमतौर पर इन्हें मूर्त संपत्तियाँ कहा जाता है। यह फिजिकल रूप में मौजूद होती है। इसके कुछ उदाहरण है-
- रियल एस्टेट (Real Assest)
- मशीनरी और ईक्विपमेंट (Machinery and Equipment)
- इनवेंटरी (Inventory)
- व्हिकल्स (Vehicles)
- कैश (Cash)
2. Intangible Assets (अमूर्त संपत्ति)
यह Tangible Assets के विपरीत होती है। इनका कोई फिजिकल रूप नहीं होता है, इस कारण इन्हें छुआ नहीं जा सकता है। लेकिन फिर भी इनका एक मूल्य है। जैसे-
- Intellectual Property (पेटेंट, ट्रेडमार्क, कॉपीराइट)
- ब्रांड की पहचान (Brand identity)
- सॉफ़्टवेयर (Software)
- लाइसेंस (License)
3. Financial Assets (वित्तीय पूंजी)
ये ऐसे Assets है, जो किसी यूनिट के मूल्य या इनकम के स्वामित्व का प्रतिनिधित्व करती हैं। जैसे-
- स्टॉक (Stock)
- बांड (Bond)
- म्यूचुअल फंड्स (Mutual Funds)
- एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड (Exchange-Traded Funds)
- डेरिवेटिव (Derivatives)
4. Investment Assets (निवेश संपत्ति)
इन्हें भविष्य में इनकम जनरेट करने के लिए खरीदा जाता है। यह ऐसे प्रकार के Assets होते हैं, जिनमें कोई बिजनेस या कंपनी प्रॉफ़िट जनरेट करने के लिए investment करता है। जैसे-
- स्टॉक (Stock)
- बांड (Bond)
- रियल एस्टेट निवेश ट्रस्ट (Real Estate Investment Trust)
- कीमती धातुएँ (सोना, चाँदी) (Precious Metals)
- क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency)
5. Current Assets (वर्तमान संपत्ति)
यह वो संपत्तियाँ है, जो वर्तमान समय में कंपनी के पास मौजूद है। इस श्रेणी में वह संपत्तियाँ आती है, जिनकी एक वर्ष के भीतर नकदी में परिवर्तित होने की उम्मीद होती है। जैसे-
- Cash और Cash Equivalents
- Accounts Receivable
- इनवेंटरी (inventory)
- Marketable Securities (Marketable Securities)
6. Non-current Assets (Fixed Assets)
यह Assets लॉन्ग टर्म में उपयोग होने वाली संपत्तियाँ है। current Assets के विपरीत इनकी एक वर्ष के भीतर नकदी में परिवर्तित होने की उम्मीद नहीं है। जैसे-
- प्रॉपर्टी, प्लांट, ईक्विपमेंट (Property, Plant, Equipment)
- Intangible Assets (patents, trademarks)
- लॉन्ग टर्म ईन्वेस्ट्मेंट्स (Long Term Investments)
Liabilities क्या होता है?
यह assets के विपरीत होती है, क्योंकि यह एक प्रकार का ऋण होता है। सामान्य भाषा में इसे देनदारी या कर्ज कहा जाता है। अकाउंट्स की दुनिया में जो पैसा किसी को देना होता है, उसे liabilities कहा जाता है।
Liabilities का मतलब है अपनी जेब से किसी और की जेब या खाते में पैसा भेजना, जो आपके पास कर्ज या ऋण के रूप में मौजूद है। इन्हें निम्नलिखित भागों में बांटा गया है-
1. Current Liabilities (वर्तमान देनदारियां)
Current Liabilities एक प्रकार डेब्ट है, जो किसी कंपनी पर बकाया हैं और वह एक वर्ष या उससे कम समय के भीतर देय हैं। मतलब यह एक ऐसा कर्ज है, जो कंपनी को एक वर्ष के भीतर चुकाना होता है।
इनका निपटान आम तौर पर करंट असेट्स का उपयोग करके किया जाता है। जो ऐसी संपत्तियां हैं, जिनका उपयोग एक वर्ष के भीतर किया जाता है।
करंट Liabilities में accounts payable, शॉर्ट टर्म डेब्ट, dividends, notes payable और बकाया टैक्स शामिल है। किसी भी बिजनेस के लिए करंट Liabilities का विश्लेषण करना जरूरी होता है।
किसी कंपनी की अपने बकाया ऋणों का भुगतान करने की चल रही क्षमता का निर्धारण करने में करंट Assets और करंट Liabilities का अनुपात बहुत महत्वपूर्ण है।
2. Non-Current Liabilities (गैर मौजूदा देनदारियां)
इन्हें अक्सर लॉन्ग टर्म liabilities कहा जाता है। यह ऐसी देनदारी होती है, जिसे एक वर्ष या इससे अधिक समय के बाद भुगतान करना होता है।
इन देनदारियों को बैलेन्स शीट पर लिस्टड किया जाता है। आमतौर पर कंपनी इनका उपयोग कंपनी या बिजनेस के leverage, liquidity और solvency का आकलन करने के लिए किया जाता है।
इसमें long-term loans, bonds, lease obligations और pension benefits शामिल है। किसी भी कंपनी के leverage का आकलन करने के लिए नॉन-करंट Liabilities का उपयोग होता है। जिसके लिए विभिन्न अनुपातों का उपयोग किया जाता है, जैसे debt-to-assets और debt-to-capital।
डेब्ट रैशियो किसी कंपनी के कुल डेब्ट की कुल संपत्ति से तुलना करता है, ताकि यह सामान्य विचार प्रदान किया जा सके कि यह कितना leverage है।
प्रतिशत जितना कम होगा, कंपनी उतना ही कम leverage का उपयोग कर रही होगी और उसकी इक्विटी स्थिति उतनी ही मजबूत होगी। इसके अलावा अनुपात जितना अधिक होगा, कंपनी पर उतना ही अधिक वित्तीय जोखिम होगा।
3. Contingent Liabilities (संभावित देनदारी)
इसे एक संभावित देनदारी के रूप में परिभाषित किया जाता है। मतलब आने वाले भविष्य में देनदारी को Contingent Liabilities कहा जाता है।
जैसे लंबित मुकदमे या उत्पाद वारंटी के लिए भुगतान करना। यदि देनदारी होने की संभावना होती है और राशि का उचित अनुमान लगाया जा सकता है, तो देनदारी को फर्म के लेखांकन रिकॉर्ड में दर्ज किया जाता है।
संभावित देनदारी की रिपोर्ट करने के लिए लेखांकन नियम देनदारी की अनुमानित राशि और घटना घटित होने की संभावना के आधार पर भिन्न होते हैं।
4. Capital Liabilities (पूंजीगत देनदारियां)
इसे पूंजीगत देनदारी कहा जाता है। यह Accounting और finance का महत्वपूर्ण पहलू है। capital वह धनराशि है जो एक बिजनेस ने स्वयं में निवेश की है। जबकि Liabilities वे ऋण हैं जो एक बिजनेस द्वारा दूसरों पर बकाया हैं।
इसके लिए पूंजी = संपत्ति – देनदारियां फॉर्मूला का उपयोग किया जाता है। दूसरे शब्दों में पूंजीगत देनदारियां (Capital Liabilities) वह धनराशि है जो किसी कंपनी को अपने शेयरधारकों को देनी होती है।
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि कैपिटल यानि पूंजी को देनदारी के रूप में नहीं, बल्कि एक परिसंपत्ति (असेट्स) के रूप में माना जाता है।
ऐसा इसलिए है क्योंकि पूंजी किसी बिजनेस की सभी देनदारियों को घटाने के बाद उसकी संपत्ति में शेष ब्याज का प्रतिनिधित्व करती है।
Assets और Liabilities में क्या अंतर है?
अकाउंटिंग और फ़ाइनेंस में Assets (संपत्तियां) और Liabilities (देनदारियाँ) दो मुख्य फंडामेंटल concepts है। Assets वे रिसोर्सेज हैं जो एक कंपनी के पास हैं और रेवेन्यू उत्पन्न करने के लिए उपयोग होते हैं। जबकि Liabilities वे ऋण हैं जो एक कंपनी पर दूसरों का बकाया हैं।
संपत्ति और देनदारियों के बीच प्राथमिक अंतर यह है कि संपत्ति किसी कंपनी के लिए मूल्य जोड़ती है, जबकि देनदारियां मूल्य को कम करती हैं। Assets मूर्त हो सकती है, जैसे प्रॉपर्टी, प्लांट और उपकरण, या अमूर्त, जैसे पेटेंट और ट्रेडमार्क आदि।
देनदारियाँ करंट हो सकती हैं, जैसे accounts payable और शॉर्ट टर्म लॉन या दीर्घकालिक जैसे bond और mortgages। Assets और Liabilities के बीच संबंध अकाउंटिंग समीकरण के लिए बहुत जरूरी है। जो बताता है कि
Assets = Liabilities + Equity।
यह समीकरण हमेशा संतुलित होनी चाहिए, जिसका अर्थ है कि संपत्ति का कुल मूल्य देनदारियों और equity के कुल मूल्य के बराबर होना चाहिए।
FAQ on Assets and Liabilities Meaning in Hindi
Q: Assets क्या हैं?
Assets किसी भी व्यक्ति या कंपनी की संपत्ति होती है, जिसका आर्थिक मूल्य होता है। जैसे अगर किसी व्यक्ति के पास सोना है, तो वह उसके Assets है। क्योंकि इन्हें नकदी यानी मुद्रा में परिवर्तित किया जा सकता है। इसके अलावा यह भविष्य में लाभ प्रदान करती है।
Q: Assets के क्या उदाहरण है?
असेट्स के उदाहरणों में कैश, इनवेस्टमेंट, रियल इस्टेट, व्हिकल्स, ईक्विपमेंट, इनवेंटरी, सोना, चाँदी, लैंड, शेयर्स आदि शामिल है।
Q: Liabilities क्या है?
Liabilities एक प्रकार का कर्ज है। जैसे आपने किसी व्यक्ति से 100 ग्राम सोना उधार लिया है, तो आपको उसका भुगतान करना होगा। यह आप पर एक liabilities के रूप में काम करती है। सामान्य भाषा में हम इसे देनदारी या कर्जा कहते हैं।
Q: Liabilities के क्या उदाहरण है?
देनदारियों के उदाहरणों में लोन, mortgages (गिरवी रखना), अकाउंट्स पेएबल (खरीदे गए माल की उधार), accrued expenses (जैसे- सैलरी, किराया) और deferred revenues शामिल हैं।
Q: Assets और Liabilities एक दूसरे से कैसे संबंधित हैं?
असेट्स और लायबिलिटीज़ एक बैलेंस शीट पर आपस में जुड़ी हुई हैं। असेट्स दर्शाती हैं कि एक यूनिट के पास क्या है। जबकि लायबिलिटीज़ दर्शाती हैं कि उस पर क्या बकाया है। किसी यूनिट की फाइनेंशियल हैल्थ का आकलन करने और उसकी नेट वोर्थ निर्धारित करने के लिए दोनों के बीच संबंध महत्वपूर्ण है।
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